बंगाल में राजनीति का खेला चार-पांच महीने से चल रहा है | जबकि आईपीएल 2021 का खेला 9 अप्रैल से शुरू होगा | बंगाल के खेला का परिणाम 2 मई को आएगा और तब देश भर में आईपीएल का खेला और उसका खुमार चरम पर होगा |

इसी खेला के बीच कुछ कुछ झमेला भी होता रहता है जैसा कि दिल्ली कैपिटल्स के साथ हुआ | भारत-इंग्लैंड वन डे श्रृंखला के पहले मैच में दिल्ली कैपिटल्स के कप्तान श्रेयस अय्यर का कन्धा चोटिल हो गया |

पहले जो जख्म हल्का नजर आ रहा था बाद में पता चला कि श्रेयस का वो मजबूत कन्धा जिसके बूते टीम पिछली बार,आईपीएल के फाइनल में खेली थी उसका ऑपरेशन होगा | और वो इस पूरे सीजन कोई मैच नहीं खेल पाएंगे |

खैर टीम पर दुःखों का पहाड़ नहीं टूटा क्योंकि ये राजनीति नहीं क्रिकेट है जहाँ आज की तारीख में सभी टीमों के पास अच्छी प्रतिभाओं की भरमार है | टीम प्रबंधन ने तेजी से सफलता के शिखर छू रहे ऋषभ पंत के हाथों दिल्ली की कमान दे दी |

चलिए अच्छा है आपने एक उभरते हुए सितारे को बड़ी जिम्मेदारी दी लेकिन जिसके सितारे पहले से बुलंदी पर हैं और जो आपकी टीम का स्तंभ हो आपने उन्हें क्यों नजरअंदाज किया ?

हाँ,मतलब कायदे से शिखर धवन को दिल्ली की कमान सौंपनी चाहिए थे | क्या टीम प्रबंधन को गब्बर यानि शिखर धवन का आईपीएल में मजबूत आंकड़ों का धमाल नहीं दिखा ? या उन्होंने जानबूझ कर अपने करियर के शिखर पर विराजमान इस खिलाड़ी को कप्तानी के लिए नजरअंदाज कर दिया |

इसमें कोई शक नहीं कि ऋषभ पंत में कूट कूट कर नैसर्गिक प्रतिभा भरी है,जो कुछ समय के लिए विलीन हो गई थी लेकिन अब मैच दर मैच वो निखरते हुए बाहर आ रही है | फिर भी आईपीएल में केवल 68 मैच खेलने वाले पंत को 176 मैच खेलने वाले धवन की जगह कप्तानी देना समझ से परे है |

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शिखर धवन का आईपीएल रिकॉर्ड

यहाँ एक कहावत है कि “हर कोई उगते हुए सूर्य को सलाम करता है |” माना कि पंत उगते हुए सूर्य हैं तो क्या धवन का सितारा डूब गया ?

आईपीएल 2020 से भी तुलना करें तो पंत के 14 मैचों में 343 रनों के मुकाबले धवन ने 17 मैचों में 44. 14 के औसत से 618 रन ठोके थे | जबकि पंत का औसत 31.18 ही था | और अगर समूचे आईपीएल की बात करें तो शिखर धवन ने 2008 से 2020 तक कुल 176 मैचों में दो शतक और 41 अर्धशतक के साथ 5197 रन बनाए हैं | जबकि ऋषभ पंत ने 68 मैचों में 2079 रन बनाए हैं |

पंत नए हैं और अपना स्वाभाविक खेल खेल रहे हैं | हो सकता है कप्तानी के दबाव में उनका खेल प्रभावित हो | अच्छा होता दिल्ली कैपिटल्स टीम प्रबंधन शिखर धवन को दिल्ली की कमान सौंपता | हालाँकि ये धवन का अपमान तो नहीं है लेकिन एक ऐसे खिलाड़ी का जो अपने करियर के शिखर पर है उसका सम्मान भी नहीं है |