Henry Olonga Story: जब जिम्बाब्वे के इस दिग्गज खिलाड़ी ने अपने ही देश के राष्ट्रपति के खिलाफ की थी बगावत, करियर हो गया खत्म लेकिन बन गए नायक

Henry Olonga. टीम इंडिया जब कभी जिम्बाब्वे के दौरे पर होती है, तो इस दौरान भारत और जिम्बाब्वे के बीच क्रिकेट इतिहास की कई यादें ताज़ा हो जाती है। भले ही पिछले कुछ सालों में भारत और जिम्बाब्वे के बीच ज्यादा क्रिकेट नहीं खेली जाती हो, लेकिन एक दौर था जब ये अफ्रीकी टीम भारत का दौरा करती थी और भारत भी इनकी सरजमीं पर नियमित रूप से खेला करती थी।

Henry Olonga
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जब जिम्बाब्वे की टीम में हुआ करते थे एक से एक धुरंधर

मौजूदा टीम इंडिया को देखते हुए जिम्बाब्वे की टीम इनकी तुलना में कहीं नहीं ठहरती है, लेकिन करीब 2 दशक पूर्व ये टीम भारत ही नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट की कई टीमों के खिलाफ बहुत ही मजबूत चुनौती पेश करती थी। उस दौर में अफ्रीकी टीम में एक से एक बेहतरीन खिलाड़ी हुआ करते थे।

जिम्बाब्वे की उस दौर की टीम में एंडी फ्लॉवर, ग्रांट फ्लॉवर, हीथ स्ट्रीक, एलिस्टर कैम्पबेल, डगलस होंडो, ट्रेविस फ्रैंड के साथ ही एक बड़ा नाम हेनरी ओलंगा का हुआ करता था। तेज गेंदबाज हेनरी ओलंगा को जिम्बाब्वे के सबसे महान तेज गेंदबाजों में शुमार किया जाता था।

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जिम्बाब्वे के इस क्रिकेटर ने जब लिया तानाशाह से पंगा

हेनरी ओलंगा अपने क्रिकेटिंग करियर के साथ ही एक ऐसे काम के लिए पहचाने जाते हैं, जो अपने देशवासियों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ खुद के देश के राष्ट्रपति के ख़िलाफ ही बगावत करने उतर गए। जिसकी सज़ा के रूप में उन्हें अपने करियर को खत्म करके चुकाना पड़ा, लेकिन वो जिम्बाब्वे की जनता और दुनियाभर के सामने एक नायक के रूप में पहचान बनाने में कामयाब रहे।

अब आपको बताते हैं हेनरी ओलंगा के जीवन में आए इस टर्निंग पॉइंट की तो बात दरअसल साल 2003 के विश्व कप की है। दक्षिण अफ्रीका, केन्या और जिम्बाब्वे की मेजबानी में ये वनडे इवेंट खेला गया था। इस दौरान जिम्बाब्वे की आजादी के नायक रहे रॉबर्ट मुगाबे राष्ट्रपति के पद पर आसीन थे। मुगाबे ने धीरे-धीरे जिम्बाब्वे में अपने आपको तानाशाह के रूप में पेश कर दिया। और जमकर जुल्म करने लगे। अपने विरोधियों को मुगाबे खत्म करते रहे एकतरफा राज़ करने लगे।

1980 के बाद जिम्बाब्वे की जनता ने रॉबर्ट मुगाबे को जननायक के रूप में स्वीकार किया था, लेकिन उन्होंने ऐसे पांव पसारे कि इस पद को अपने पुरखों की जागिर समझ लिया। 2000 के दशक में जिम्बाब्वे में भ्रष्टाचार चरम पर रहा, जहां देश की जनता आर्थिक संकट से जूझती नजर आयी वहीं राष्ट्रपति ने अपने आपको आर्थिक रूप से पूरी तरह संपन्न कर दिया और ऐशो आराम की जिंदगी जीने लगे।

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हेनरी ओलंगा ने राष्ट्रपति के खिलाफ की थी अपनी आवाज़ बुलंद

उनके देश में रॉबर्ट के राज़ के खिलाफ कोई बोलने वाला नहीं था, लेकिन तभी 2003 में जिम्बाब्वे नेशनल क्रिकेट टीम के स्टार क्रिकेटर हेनरी ओलंगा ने इसके ख़िलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की। जिन्होंने उनके देश की जनता के हितों के लिए अपना करियर तक दांव पर लगा दिया।

अफ्रीका महाद्वीप के इस छोटे से देश में मुगाबे के शासनकाल में अराजकता का माहौल पैदा हो गया। हालात बद से बदतर होते जा रहे थे। इसी के चलते विश्व कप में जिम्बाब्वे में होने वाले मैचों का कुछ देश बायकॉट कर चुके थे। देश में मानवाधिकार की धज्जियां उड़ रही थी। अपने देश में इस तरह का माहौल देख हेनरी ओलंगा और उनके साथी एंडी फ्लॉवर खुलकर इसके ख़िलाफ आ गए।

10 फरवरी 2003 को जिम्बाब्वे को अपना पहला मुकाबला खेलना था, जहां नामीबिया की टीम उनके सामने थी। इस मैच से ठीक पहले विरोध का ज्वार फूट पड़ा और इन दोनों ही क्रिकेटरों ने सरकार की नीतियों का रोष जताने के लिए काली पट्टी बांधकर उतरने का फैसला किया। इस मैच में काली पट्टी बांधने के बाद राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे उनसे काफी ज्यादा ख़फा हो गए। जिम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड पर दबाव बड़ा और हेनरी ओलंगो को टीम से बाहर कर दिया।

इतना ही नहीं बोर्ड ने खराब फॉर्म का हवाला देकर बाहर करने के बाद कभी भी उन्हें वापसी का मौका नहीं दिया। वहीं ओलंगा को लगातार जान से मारने की धमकियां मिली। उनकी जान को खतरा लगातार बढ़ता गया और वो इसके बाद देश छोड़ने को ही मजबूर हो गए।

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अपना देश छोड़ इस क्रिकेटर को इंग्लैंड में शरण लेनी पड़ी। इंग्लैंड़ पहुंचने के बाद उन्हें वीजा संबंधी दिक्कतें होने के कारण 9 साल तक रूकना पड़ा। इसी दौरान ब्रिटिश नागरिकता हासिल करने वाले इस क्रिकेटर ने इंग्लैंड छोड़ हमेशा-हमेशा के लिए ऑस्ट्रेलिया में बसने का फैसला कर दिया।

अपने क्रिकेटिंग करियर के लिए नहीं लेकिन ये खिलाड़ी आज उनके देश में किसी नायाब हीरे से कम नहीं है, तो वहीं इसने एक बड़े तानाशाह का साम्राज्य हिला दिया। जिससे वो दुनिया भर में चहेते बन गए।

हेनरी बन चुके हैं एक बड़े सिंगर

हेनरी ओलंगा के करियर की बात करें तो उन्होंने 1995 से 2003 तक जिम्बाब्वे टीम का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने अपने इंटरनेशनल करियर में 30 टेस्ट मैचों में 68 विकेट झटके तो वहीं 50 वनडे मैचों में 58 विकेट लेने में सफल रहे। फिलहाल ये दिग्गज गेंदबाज एक बड़े सिंगर बन चुके हैं। जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया में रहते हुए कई गानों को प्रस्तुत किया है।